Posted on January 15, 2020 by Yasmin Khan Poetry copyrights : Yasmin Khan. Share this:TwitterFacebookLike this:Like Loading... Related
पढ़ा जबसे हैं मैंने आपको, और किसी को पढ़ने कि चाहत नहीं । हर दुआ में मांगा हैं बस तेरी एक मुस्कान को, मुझे और कोई आपसे चाहत नहीं । दर्द कोई भी हो आपको, आपकी मुस्कान के सिवा कोई दवा पता नहीं। सच कहता हूँ जी तेरी ग़ज़लें और नज़में हैं याद बस मुझको, क्या लिखता हैं फ़िर मिर्जा मुझको याद नहीं । 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 LikeLiked by 1 person Reply
उफ्फ! ऐसी शिद्दत से प्यार कोई करे…
बहुत खूब यास्मिन। 👌🏼❤️😘
LikeLiked by 1 person
Shukriya dear😘🤗❤️
LikeLiked by 1 person
Bas aise hi likhti raho! 😘💖
LikeLiked by 1 person
Loved this baaji. May Allah always keep you happy. Āmīn
LikeLiked by 1 person
Shukriya dear❤️❤️❤️
LikeLike
khubsoorat 💗 💗
LikeLiked by 1 person
Shukran😊😊
LikeLiked by 1 person
पढ़ा जबसे हैं मैंने आपको,
और किसी को पढ़ने कि चाहत नहीं ।
हर दुआ में मांगा हैं बस तेरी एक मुस्कान को,
मुझे और कोई आपसे चाहत नहीं ।
दर्द कोई भी हो आपको,
आपकी मुस्कान के सिवा कोई दवा पता नहीं।
सच कहता हूँ जी
तेरी ग़ज़लें और नज़में हैं याद बस मुझको,
क्या लिखता हैं फ़िर मिर्जा मुझको याद नहीं ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
LikeLiked by 1 person